स्वामी विवेकानंद #TheGreatSwamiVivekananda , जिनका नाम आते ही मन में श्रद्धा और स्फूर्ति दोनों का संचार होता है। श्रद्धा इसलिये, क्योंकि उन्होंने भारत के नैतिक एवं जीवन मूल्यों को विश्व के कोने-कोने तक पहुंचाया और स्फूर्ति इसलिये क्योंकि इन मूल्यों से जीवन को एक नई दिशा मिलती है। आज 12 जनवरी को पूरे भारत में स्वामी विवेकानंद का जन्म दिवस मनाया जायेगा।
स्वामी विवेकानंद के 10 विचार जो जीवन में सफलता की कुंजी माने जाते हैं।
https://www.facebook.com/ TheGreatSwamiVivekananda
उठो जागो, रुको नहीं...
उठो, जागो और तब तक रुको नहीं जब तक मंजिल प्राप्त न हो जाये।
तूफान मचा दो..
तमाम संसा हिल उठता। क्या करूँ धीरे-धीरे अग्रसर होना पड़ रहा है। तूफ़ान मचा दो तूफ़ान!
अनुभव ही शिक्षक
जब तक जीना, तब तक सीखना' -- अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है।
पवित्रता और दृढ़ता पवित्रता, दृढ़ता तथा उद्यम- ये तीनों गुण मैं एक साथ चाहता हूँ।
ज्ञान और अविष्कार
ज्ञान स्वयं में वर्तमान है, मनुष्य केवल उसका आविष्कार करता है।
मस्तिष्क पर अधिकार
जब कोई विचार अनन्य रूप से मस्तिष्क पर अधिकार कर लेता है तब वह वास्तविक भौतिक या मानसिक अवस्था में परिवर्तित हो जाता है।
आध्यात्मिक दृष्टि आध्यात्मिक दृष्टि से विकसित हो चुकने पर धर्मसंघ में बना रहना अवांछनीय है। उससे बाहर निकलकर स्वाधीनता की मुक्त वायु में जीवन व्यतीत करो।
नैतिक प्रकृति
हमारी नैतिक प्रकृति जितनी उन्नत होती है, उतना ही उच्च हमारा प्रत्यक्ष अनुभव होता है, और उतनी ही हमारी इच्छा शक्ति अधिक बलवती होती है।
स्तुति करें या निंदा
लोग तुम्हारी स्तुति करें या निन्दा, लक्ष्मी तुम्हारे ऊपर कृपालु हो या न हो, तुम्हारा देहान्त आज हो या एक युग मे, तुम न्यायपथ से कभी भ्रष्ट न हो।
किसी के सामने सिर मत झुकाना
तुम अपनी अंत:स्थ आत्मा को छोड़ किसी और के सामने सिर मत झुकाओ। जब तक तुम यह अनुभव नहीं करते कि तुम स्वयं देवों के देव हो, तब तक तुम मुक्त नहीं हो सकते।
स्वामी विवेकानंद के 10 विचार जो जीवन में सफलता की कुंजी माने जाते हैं।
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उठो जागो, रुको नहीं...
उठो, जागो और तब तक रुको नहीं जब तक मंजिल प्राप्त न हो जाये।
तूफान मचा दो..
तमाम संसा हिल उठता। क्या करूँ धीरे-धीरे अग्रसर होना पड़ रहा है। तूफ़ान मचा दो तूफ़ान!
अनुभव ही शिक्षक
जब तक जीना, तब तक सीखना' -- अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है।
पवित्रता और दृढ़ता पवित्रता, दृढ़ता तथा उद्यम- ये तीनों गुण मैं एक साथ चाहता हूँ।
ज्ञान और अविष्कार
ज्ञान स्वयं में वर्तमान है, मनुष्य केवल उसका आविष्कार करता है।
मस्तिष्क पर अधिकार
जब कोई विचार अनन्य रूप से मस्तिष्क पर अधिकार कर लेता है तब वह वास्तविक भौतिक या मानसिक अवस्था में परिवर्तित हो जाता है।
आध्यात्मिक दृष्टि आध्यात्मिक दृष्टि से विकसित हो चुकने पर धर्मसंघ में बना रहना अवांछनीय है। उससे बाहर निकलकर स्वाधीनता की मुक्त वायु में जीवन व्यतीत करो।
नैतिक प्रकृति
हमारी नैतिक प्रकृति जितनी उन्नत होती है, उतना ही उच्च हमारा प्रत्यक्ष अनुभव होता है, और उतनी ही हमारी इच्छा शक्ति अधिक बलवती होती है।
स्तुति करें या निंदा
लोग तुम्हारी स्तुति करें या निन्दा, लक्ष्मी तुम्हारे ऊपर कृपालु हो या न हो, तुम्हारा देहान्त आज हो या एक युग मे, तुम न्यायपथ से कभी भ्रष्ट न हो।
किसी के सामने सिर मत झुकाना
तुम अपनी अंत:स्थ आत्मा को छोड़ किसी और के सामने सिर मत झुकाओ। जब तक तुम यह अनुभव नहीं करते कि तुम स्वयं देवों के देव हो, तब तक तुम मुक्त नहीं हो सकते।